बुढ़िया की चक्की..
Old lady's mill..
In some village, an Amma called a craftsman to get her "flour-mill" cut off.
"Look brother, do you know?
Here is the mill, fix it.. Only the porridge left for today's food has been put on the stove..
You fix it..Till then I will bring a pot filled from the well"..
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The artisan said, "Okay Amma, don't you worry... my workmanship is discussed in seven villages..
I will find such a mill that even if you grind the flour, I will take out the flour and I will also take care of your porridge being cooked on the stove.. you go careless to fill water"..
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The old lady went towards the well restlessly and the artisan started digging the mill.
While working, suddenly the hammer jumped and fell on the pot of ghee hanging over the stove.
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After all this, the artisan got flustered and in the flurry, the millstone was also broken by him.
Before the artisan could understand anything, even before the flames were ignited by the ghee scattered on the stove, the thatched roof caught fire and the hut started burning with smoke.
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When the artisan ran away in panic, he collided with the old lady on the way, and his pot of water also fell and burst.
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The old lady cried, "Hey Karamjale, why were you in such a hurry, now what thirst will I sleep at night..? There was only one pot, you also broke it."
The craftsman said
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"Hey Amma, to whom will you cry?
will cry to the pot of water, or
Will weep a pot filled with ghee, or
will weep the pot of porridge, or
Will weep over a broken mill, or else
Will you cry to your hut that is burnt?"
Saying this, the "skilled craftsman" ran away with the bag.
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In the same way... our future is also now safe in the hands of some such skilled craftsmen,
Will you cry to China-Pak or
Will you cry #GDP or
# will you cry corona or
# will you cry unemployment or
# will you cry inflation or else
(at the hands of Ambani/Adani)
#sold and ruined
You will cry #institutions #resources..
To whom will you cry???
These tears will also fall...!!
the spectators still keep saying
“#Artisan is skilled, there is no alternative to it..!🤫🤫🤫🤫🥱😭
किसी गांव में एक अम्मा ने अपनी खुंद पड़ी "आटा-चक्की" को खुंटवाने के लिए कारीगर को बुलाया..
"देख भाई जानता तो है ना..?
ये रही चक्की, इसे ठीक कर दे..बस आज के खाने लायक दलिया बचा था वो चूल्हे पर चढ़ा दिया है..
तू इसे ठीक कर..तब तक मैं कुएँ से मटकी भर कर लाती हूँ"..
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कारीगर बोला, "ठीक है अम्मा, तू चिंता मत कर...मेरी कारीगरी के सात गाँवों में चर्चे हैं..
ऐसी चक्की खोटूंगा कि तू आटा पीसेगी तो भी मैदा निकालेगी और चूल्हे पर चढ़ा पक रहा तेरा दलिया भी सम्भाल लूंगा..तू बेफिक्र पानी भरने चली जा"..
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बुढ़िया निश्चिन्त होकर कुएँ की तरफ निकल गयी और कारीगर चक्की की खुटाई करने लगा...
काम करते हुए हत्थे से निकलकर अचानक हथौड़ी उछलकर चूल्हे के ऊपर लटकी हुई घी की मटकी पर जा पड़ी...घी सहित मटकी चूल्हे पर पक रहे दलिया की हांडी पर जा गिरी..
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इतना सब होने पर कारीगर हड़बड़ा गया और हड़बड़ाहट में उससे चक्की का पाट भी टूट गया...
कारीगर के कुछ समझ में आता, उससे पहले ही चूल्हे पर बिखरे घी से लपटें भभकीं तो घास-फूस की छत ने आग पकड़ ली और झोंपड़ी धूं-धूं करके जलने लगी..
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कारीगर घबराकर उलटे पाँव भागा तो रास्ते में आती बुढ़िया से टकरा गया, और उसकी पानी की मटकी भी गिरकर फूट गयी..
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बुढ़िया चिल्लाई, "अरे करमजले, तुझे ऐसी भी क्या जल्दी थी, अब रात को क्या प्यासी सोऊंगी..? एक ही मटकी थी वो भी तूने फोड़ दी।"
कारीगर बोला,
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"अरे अम्मा, तू किस-किस को रोयेगी..
पानी की मटकी को रोयेगी, या
घी से भरी मटकी को रोयेगी, या
दलिये की हांड़ी को रोयेगी, या
टूटी चक्की को रोयेगी, या फिर
जल गई अपनी झोंपड़ी को रोयेगी?"
ये कहता हुआ वह "कुशल कारीगर" झोला उठाकर भाग निकला....
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ठीक इसी प्रकार... हमारा भविष्य भी अब कुछ ऐसे ही कुशल कारीगर के हाथों में सुरक्षित पड़ा हुआ है,
#चीन-पाक को रोओगे या
#GDP को रोओगे या
#कोरोना को रोओगे या
#बेरोजगारी को रोओगे या
#महंगाई को रोओगे या फिर
(अंबानी/अडानी के हाथों)
#बिक व बर्बाद हो चुकी
#संस्थाओं #संसाधनों को रोओगे..
किस-किस को रोओगे... ??😟😟😟
ये आँसू भी कम पड़ जाऐंगे...!!
तमाशबीन फिर भी कहते रहते हैं
“#कारीगर_कुशल है, इसका कोई विकल्प नहीं..!🤫🤫🤫🤫🥱😭
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