सोचने को मजबूर आज इंदौर में राउ बाय पास के पास ओमेक्स हिल कॉलोनी में रहने वाले इंजीनियर श्री विशाल त्यागी के परिवार पर 5 से अधिक डकैत द्वारा जो हमला * हुआ दिल को बहुत आघात पहुचा गया
The Attack on the family of Mr. Vishal Tyagi, an Engineer living in Omaxe Township Colony near Rau bye Pass in Indore
Forced to think, the Attack on the family of Mr. Vishal Tyagi, an engineer living in Omaxe Hill Colony near Rau bye Pass in Indore today, was greatly hurt by the attack by more than 5 dacoits. Why would a man fall so much who would forget humanity for money. This incident gave me a lot of thought and came to the conclusion that we should also learn. First of all, why should we stay outside the city where there is no society, we try to live in a full colony. Secondly, do not put any unknown person on the job. Do not change these people again and again. Do not quarrel with them. On the third side, the most important thing is not to show off the money at all. This is what we invite these people to do. Fifth important thing is that we put lakhs of rupees ornaments in the car and think 10 times to install a CCT camera for our own safety. The camera makes a big difference. The man thinks 10 times before committing a crime. One more thing I want to say is that for the sake of safety in your house, mostly use iron gates and channels. Locked your sleeping room and slept. I hope that my suggestions will be implemented immediately nowadays or else such an incident will continue daily. We would have been left thinking that nothing will happen to us that happens to the other.
सोचने को मजबूर आज इंदौर में राउ बाय पास के पास ओमेक्स हिल कॉलोनी में रहने वाले इंजीनियर श्री विशाल त्यागी के परिवार पर 5 से अधिक डकैत द्वारा जो हमला * हुआ दिल को बहुत आघात पहुचा गया । आदमी इतने क्यो गिर जाते जो पैसे के लिए इंसानियत को भूल जाते। इस घटना ने मुझे झकोर दिया मेने बहुत विचार किया और इस निष्कर्ष पर निकला कि हम को भी सीख लेने चाहिये।
सब से पहली बात हम नगर के बाहर क्यो रहे जहा कोई सोसाइटी ना हो कोशिश हो हम भरी हुई कॉलोनी में रहे।
दूसरी बात बगेर जाने पहचाने कोई अज्ञात व्यक्ति को जॉब पर ना रखे ।
बार बार इन लोगो को ना बदले।
इन से झगड़ा ना करे।
तीसरी ओर सब से महत्वपूर्ण बात है पैसे का दिखावा बिलकुल ना करे।
यही वह चीज है जो हम इन लोगों को आमंत्रित करते है। पांचवी महत्वपूर्ण बात हम लाखो रुपये गहने मकान कार में लगा देते और खुद की सुरक्छा के लिए एक CCT केमेरा लगाने में 10 बार सोचते है।
कैमरे से बहुत ज्यादा फर्क पड़ता है आदमी अपराध करने के पहले 10 बार सोचता है।
एक बात और बोलना चाहता हूं अपने मकान में सेफ्टी के लिए ज्यादातर लोहे के गेट ओर चेनल का उपयोग करे। अपने सोने वाले रूम को भी लॉक कर के सोए।
आशा करता हूं मेरे सुझाव को आज ओर अभी तत्काल अमल में लाएंगे नही तो ऐसी घटना रोज होती रहेगी ।
हम ये सोच के रह जाते की हमारे साथ ऐसा कुछ नही होगा जो दूसरे के साथ होता है।
दस दिन के अंदर दुनिया के दो संस्थानों ने कहा है कि भारत में लोकतंत्र को खत्म किया जा रहा है.
स्वीडन के रिसर्च इंस्टिट्यूट वी-डेम की रिपोर्ट कहती है, "भारत अब चुनावी लोकतंत्र नहीं रहा, बल्कि चुनावी तानाशाही में तब्दील हो चुका है. 2014 में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से देश का लोकतांत्रित स्वरूप काफी कमजोर हुआ है और अब ये ‘तानाशाही’ की स्थिति में आ गया है. ताजा आंकड़ों को देखते हुए पूरे दावे के साथ ये कहा जा सकता है कि भारत ‘चुनावी तानाशाही’ में तब्दील हो चुका है. भारत अब पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी 'निरंकुश' और बदतर हालत में पहुंच गया है."
ये रिपोर्ट देने वाले स्वीडन के रिसर्च इंस्टिट्यूट को आप गाली दे सकते हैं, इसके लिए जवाहरलाल नेहरू को गाली दे सकते हैं, लेकिन उस नुकसान का क्या करेंगे जो भारत वैश्विक फलक पर झेल रहा है?
भारत को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का खिताब सिर्फ इसलिए हासिल नहीं था, क्योंकि ऐसा हम कहते थे. अब तक ये बात सारी दुनिया कह रही थी. तब हम गर्व करते थे. अब वही दुनिया वाले अगर कह रहे हैं कि भारत में लोकतंत्र को खत्म किया जा रहा है तो क्या इस पर गौर नहीं किया जाना चाहिए?
अभी एक ही हफ्ते पहले अमेरिका की एक संस्था फ्रीडम हाऊस ने कहा कि भारत अब एक 'आजाद देश' नहीं बल्कि 'आंशिक रूप से आजाद देश' है.
इस रिपोर्ट में कहा गया कि 2014 में नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद से भारत में नागरिक अधिकार सीमित होते जा रहे हैं. इस संस्था ने भारत को 'फ्री कंट्री' से 'पार्टली फ्री' कंट्री की श्रेणी में डाल दिया है. रिपोर्ट कहती है कि भारत का "स्वतंत्र देशों के स्तर से नीचे गिरनेे" का दुनिया के लोकतांत्रिक मानकों पर घातक असर पड़ेगा.
दुनिया भर की मानवाधिकार और लोकतंत्र निगरानी संस्थाएं लगातार भारत के बारे में ऐसा कह रही हैं. भारत ने एक बहुत लंबी लड़ाई लड़कर आजादी हासिल की थी और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र होने का गौरव हासिल किया था. दुर्भाग्य से भारत अपना लोकतंत्र और दुनिया में अपनी इज्जत, दोनों गवां रहा है.
जो कह रहे थे कि देश नहीं झुकने दूंगा, वे दुनिया में आपका सिर झुका रहे हैं. अगर आपको ये मंजूर है तो फिर ये सारी बातें बेकार हैं. फिर आप गर्व कीजिए कि आपके पूर्वजों ने जो लोकतंत्र हासिल किया था, उसे आपके ही चुने हुए नेतृत्व के हाथों धीमा जहर दिया जा रहा है.
मोदी एकमात्र शाशक है जो कोरोना वैक्सीन खुद के नागरिको को बेच रहा है और दुश्मन देश को मुफ्त दे रहा है।
बाकी दुनिया के देश खुद के नागरिकों को फ्री में दे रहे है और दूसरे देशों को वैक्सीन बेच रहे है।
वाह मोदुजी वाह क्या दिमाग है पाया आपने
अपने ही देशवासियों के घर मे घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक कर दी...
मान लो कि दो व्यक्ति मेरे पास आते हैं एक बिल्कुल साफ सुथरा और दूसरा बेहद गंदा होता है। मैं उन दोनों को मशविरा देता हूँ कि वे नहा कर साफ सुथरा हो जाएं।
अब तुम लोग बताओ कि उनमें से कौन नहाएगा?
स्टुडेंट्स ने कहाः जो गंदा है वो नहाएगा।
टीचर ने कहाः
नहीं, बल्कि साफ व्यक्ति ऐसा करेगा क्योंकि उसे नहाने की आदत है जबकि गंदे को सफाई का महत्व मालूम ही नहीं।
अब बताओ कौन नहाएगा?
स्टुडेंट्स ने कहाः साफ व्यक्ति।
टीचर ने कहाः
नहीं, बल्कि गंदा व्यक्ति नहाएगा क्योंकि उसे सफाई की जरूरत है। बस, अब बताओ कौन नहाएगा?
स्टुडेंट्स ने कहाः जो गंदा है वो नहाएगा।
टीचर ने कहाः
नहीं, बल्कि दोनों नहाएंगे क्योंकि साफ व्यक्ति को नहाने की आदत है जबकि गंदे को नहाने की जरूरत।
अब बताएं कौन नहाएगा?
स्टुडेंट्स ने कहाः दोनों नहाएंगे।
टीचर ने कहाः
नहीं कोई नहीं क्योंकि गंदे को नहाने की आदत नहीं जबकि साफ को नहाने की जरूरत नहीं। अब बताएं कौन नहाएगा?
स्टुडेंट्स ने हाः कोई नहीं।
स्टुडेंट्स ने फिर कहाः
आप हर बार अलग जवाब देते हैं और हर जवाब सही मालूम पड़ता है। हमें सही जवाब कैसे मालूम होगी?
टीचर ने कहाः
पैराडाॅक्स यही तो है। आजकल महत्वपूर्ण ये नहीं है कि वास्तविकता क्या है। महत्वपूर्ण ये है कि मीडिया किसी चीज को सही साबित करना चाहती है।
जो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पहले डीजल पेट्रोल की बढ़ती कीमत पर आंसू बहाती थी आज वही मीडिया बढ़ती कीमत को राष्ट्रहित और राष्ट्रनिर्माण में सही साबित कर रही है।
अब पेट्रोल के शतक लगाने पर ना अमिताभ ट्वीट कर रहे ना अक्षय कुमार और ना ही सचिन। अब ना वो सलवारी चालीस रूपये लीटर पेट्रोल बेच रहे बल्कि सौ रूपये होने पर इसे राष्ट्रनिर्माण में सहयोग बता रहे हैं।
अब सरकार ने मीडिया के सहारे नैरेटिव सेट कर ही दिया है "डीजल पेट्रोल महंगा है तो क्या हुआ खर्च विकास कार्य में ही हो रहा है ना" राष्ट्र निर्माण में योगदान करें और खुश रहें। ख़ैर, जनता को तो आदत हो ही जाती है थोड़े दिनों में महंगाई सहने की...
सवाल करने पर डर तो है ही कही आप भी देशविरोधी, राष्ट्रविरोधी, आतंकवादी और गद्दार ना हो जाए?